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फिर भी कितना अनजान हूँ तुमसे

फिर भी कितनी अनजान हूँ तुमसे। ख़्वाबों में ख़्यालों में शिकवों में गिलों में मेंहदी में फूलों में सावन के झूलों में झरनों के पानी में नदियों […]

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हमारे शह्र में हर अजनबी, इक हमज’बां चाहे

हमारे शह्र में हर अजनबी, इक हमज’बां चाहे मगर कुछ है जो बाशिन्दा यहाँ का दरमियां चाहे उम्मीदें मंज़िलों की अब तो हमको ज़र्द लगती हैं ख़बर […]

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