सिर्फ ज़रा सी जिद की ख़ातिर अपनी जाँ से गुजर गए एक शिकस्ता कश्ती लेकर हम दरिया में उतर गए तन्हाई में बैठे बैठे यूँ ही तुमको […]
सिर्फ ज़रा सी जिद की ख़ातिर अपनी जाँ से गुजर गए एक शिकस्ता कश्ती लेकर हम दरिया में उतर गए तन्हाई में बैठे बैठे यूँ ही तुमको […]
हम तुम हैं आधी रात है और माहे-नीम है क्या इसके बाद भी कोई मंजर अज़ीम है लहरों को भेजता है तकाजे के वास्ते साहिल है कर्जदार […]
कुछ लतीफों को सुनते सुनाते हुए उम्र गुजरेगी हंसते हंसाते हुए अलविदा कह दिया मुस्कुराते हुए कितने गम दे गया कोई जाते हुए सारी दुनिया बदल सी […]
उतरा है ख़ुदसरी पे वो कच्चा मकान अब लाजिम़ है बारिशों का मियां इम्तिहान अब मुश्किल सफर है कोई नहीं सायबान अब है धूप रास्तों पे बहुत […]