ज़मीं को नाप चुका आसमान बाक़ी है अभी परिन्दे के अन्दर उड़ान बाक़ी है बधाई तुमको कि पहुँचे तो इस बुलन्दी पर मगर ये ध्यान भी रखना […]
ज़मीं को नाप चुका आसमान बाक़ी है अभी परिन्दे के अन्दर उड़ान बाक़ी है बधाई तुमको कि पहुँचे तो इस बुलन्दी पर मगर ये ध्यान भी रखना […]
बैठा नदी के पास यही सोचता रहाकैसे बुझाऊँ प्यास यही सोचता रहा शादाब वादियों में वो सूखा हुआ दरख़्तकितना था बेलिबास यही सोचता रहा कितने लगे हैं […]
आहटें ————— अकेलेपन के बियाबाँ तवील जंगल में ये आहटें सी जो महसूस होती रहती हैं कभी ख़याल कभी दिल कभी नज़र के क़रीब समाअतों से ये […]
वक्त पर थम गई है बारिश जो गुजरी रात को हुई थी, धो दिए हैं रास्ते इस बारिश ने। सूरज भी खूब वक्त से निकला है, किरनें […]
जाने क्या सोच के तेरे ख़त कल नदी में बहाये थे, ख़त तो कागज के थे गल गए बह गए मगर वो सारे हफर् जो उन पर […]
एक मुकम्मल किनारे की तलाश में हर रोज कितने किनारे बदलता है समन्दर तमाम नदियों को जज्ब करने के बाद भी मासूम सा दिखता है समन्दर। शाम […]
एक वादा तुमसे रोज कुछ लिखने का तुम्हारे बारे में, अभी भी मुस्तैदी से निभा रहा हूँ। मगर इस बार तहरीरें कागजों पर नहीं दिल के सफहों […]
तूने बख़्शा तो है मुझे खुला आसमां साथ ही दी हैं तेज हवाएं भी हाथों से हल्की जुम्बिश देकर जमीं से ऊपर उठा भी दिया है। मगर […]
हवा जो छू के गुजरती है मुझे उसमें खुश्बू बसी है तुम्हारी तरह। ये नदिया जो बहती है इसमें इक सादगी है तुम्हारी तरह। रंग धानी है […]