अभिनव मिमांसा जुलाई-सितम्बर २०२३ गजल -पवन कुमार
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करीब पांच साल के बाद शायर पवन कुमार का नया मजमुआ ‘आहटें’ हमारे हाथ में है। 2012 में आई अपनी पहली किताब ‘वाबस्ता’ के हवाले से शायरी […]
सिर्फ ज़रा सी जिद की ख़ातिर अपनी जाँ से गुजर गए एक शिकस्ता कश्ती लेकर हम दरिया में उतर गए तन्हाई में बैठे बैठे यूँ ही तुमको […]
हम तुम हैं आधी रात है और माहे-नीम है क्या इसके बाद भी कोई मंजर अज़ीम है लहरों को भेजता है तकाजे के वास्ते साहिल है कर्जदार […]