ज़मीं पर किस कदर पहरे हुए हैं परिंदे अर्श पर ठहरे हुए हैं बस इस धुन में कि गहरा हो तअल्लुक हमारे फ़ासले गहरे हुए हैं नजर […]
ज़मीं पर किस कदर पहरे हुए हैं परिंदे अर्श पर ठहरे हुए हैं बस इस धुन में कि गहरा हो तअल्लुक हमारे फ़ासले गहरे हुए हैं नजर […]
यूँ तो हर पल इन्हें भिगोना ठीक नहीं फिर भी आँख का बंजर होना ठीक नहीं दिल जो इजाजत दे तो हाथ मिलाओ तुम बेमतलब के रिश्ते […]
कोई भी तज़्किरा या गुफ़्तगू हो तेरा चर्चा ही अब तो कू-ब-कू हो मयस्सर बस वही होता नहीं है दिलों को जिसकी अक्सर जुस्तजू हो ये आँखें […]
मुम्किन है कि लहजे का मजा तुमको भी आ जाए मैं दिल से सुनाता हूँ मुझे दिल से सुना जाए सौगात वो ख़ुशियों की लुटाता है मुसलसल […]
हर इक उम्मीद कल पर टल रही है हमारी ज़िन्दगी बस चल रही है जरूरत है बहुत लब खोलने की तुम्हारी ख़ामुशी अब खल रही है मिरे […]
अब्बा के बाद घर की बदली हुई हवा है सहमा हुआ है आंगन सिमटी हुई हवा है अब देखना है किसको मिलती है कामयाबी जलते हुए दिये […]
किसकी कहें, हालात से अपने कौन यहाँ बेज़ार नहीं ग़म से परेशाँ सब मिलते हैं, पर कोई गमख़्वार नहीं या तो मंजिल दूर हो गयी, या फिर […]
कहने को इंसान बहुत हैं पर इनमें बेजान बहुत हैं मैं इक सादा वरक अकेला बंधने को जुजदान बहुत है कच्चे रंग सँभालें ख़ुद को बारिश के […]
कभी तो है कभी गोया नहीं है मगर ये सच है तू खोया नहीं है इन्हीं से अब सुकूं पाने की जिद में किसी भी दाग को […]
सभी को है ये धोका हम पले हैं शादमानी में मगर ये उम्र गुजरी है गमों की पासबानी में हो गर्दिश में तो शायद ही कोई अपना […]