‘‘हसरतें दम तोड़ती है यास की आग़ोश में सैकड़ों शिकवे मचलते हैं लबे-ख़ामोश में’’¹ रात तेरे जिस्म की खुशबू से हम लिपटे रहे सुब्ह बैरन सी लगी […]
‘‘हसरतें दम तोड़ती है यास की आग़ोश में सैकड़ों शिकवे मचलते हैं लबे-ख़ामोश में’’¹ रात तेरे जिस्म की खुशबू से हम लिपटे रहे सुब्ह बैरन सी लगी […]
बेबस थे दिन तो सहमी हुई रात क्या कहें गुज़रे तेरे बगैर जो लम्हात, क्या कहें हमसे न पूछ यार यहाँ हाल-ए-मुंसिफी अच्छे नहीं है अपने ख़यालात […]
ज़िंदगी में इक अजब ठहराव सा है और सोचों में वही भटकाव सा है कैसी-कैसी आरजूओं के सिले में जो दिया है तूने इक बहलाव सा है […]
ये कसक दिल में रह-रह के उठती रही ज़िंदगी इस तरह क्यूँ भटकती रही बन गई गुल कभी और ख़ुश्बू कभी और कभी जिस्म बनकर सुलगती रही […]
चुनी है राह जो काँटो भरी है डरें क्यूँ हम तुम्हारी रहबरी है हर इक शय में तुझी को सोचता हूँ तिरे जलवों की सब जादूगरी है […]
मैं हूँ मुश्किल में, याद करते ही दोस्त बदले हैं दिन बदलते ही हर कदम पर थी किस कदर फिसलन गिर गया मैं जरा संभलते ही फिर […]
समन्दर सामने और तिश्नगी है अजब मुश्किल में मेरी ज़िन्दगी है तेरी आमद की ख़बरों का असर है फिजां में ख़ुश्बुएं हैं ताज़गी है दरो-दीवार से भी […]
गुज़ारी ज़िन्दगी हमने भी अपनी इस करीने से पियाला सामने रखकर किया परहेज पीने से अजब ये दौर है लगते हैं दुश्मन दोस्तों जैसे कि लहरें भी […]
मिरी तन्हाई क्यों अपनी नहीं है ये गुत्थी आज तक सुलझी नहीं है बहुत हल्के से तुम दीवार छूना नमी इसकी अभी उतरी नहीं है मुआफी बख़्श […]
तेरी ख़ातिर ख़ुद को मिटा के देख लिया दिल को यूं नादान बना के देख लिया जब जब पलकें बन्द करूँ कुछ चुभता है आँखों में इक […]