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हसरतें दम तोड़ती है यास की आग़ोश में

‘‘हसरतें दम तोड़ती है यास की आग़ोश में सैकड़ों शिकवे मचलते हैं लबे-ख़ामोश में’’¹ रात तेरे जिस्म की खुशबू से हम लिपटे रहे सुब्ह बैरन सी लगी […]

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बेबस थे दिन तो सहमी हुई रात क्या कहें

बेबस थे दिन तो सहमी हुई रात क्या कहें गुज़रे तेरे बगैर जो लम्हात, क्या कहें हमसे न पूछ यार यहाँ हाल-ए-मुंसिफी अच्छे नहीं है अपने ख़यालात […]

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समन्दर सामने और तिश्नगी है

समन्दर सामने और तिश्नगी है अजब मुश्किल में मेरी ज़िन्दगी है तेरी आमद की ख़बरों का असर है फिजां में ख़ुश्बुएं हैं ताज़गी है दरो-दीवार से भी […]

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गुज़ारी ज़िन्दगी हमने भी अपनी इस क’रीने से

गुज़ारी ज़िन्दगी हमने भी अपनी इस क’रीने से पियाला सामने रखकर किया परहेज’ पीने से अजब ये दौर है लगते हैं दुश्मन दोस्तों जैसे कि लहरें भी […]

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