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यादें

बड़ी बेशऊर हैं तुम्हारी यादें न दस्तक देती हैं और न ही आमद का कोई अंदेशा न कोई इशारा और न कोई संदेसा गाहे-ब-गाहे वक्त-बे-वक्त दिन-दोपहर हर […]

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अमानत

परत-दर-पर तह-ब-तह ज़िन्दगी-ज़िन्दगी…। यही इक अमानत मुझे बख़्शी है मेरे खुदा ने। इसी में से ये ज़िन्दगी यानी ये उम्र अपनी तेरे नाम कर दी है मैंने। […]

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रात

वक्त के मेले में जब भी रात घूमने निकलती है न जाने क्यूँ हर बार अपने कुछ बेटों को जिन्हें ‘लम्हा’ कहते हैं छोड़ आती है। ये […]

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जादू

तुम्हारे जिस्म में वह कौन सा जादू छुपा है कि जब भी तुम्हें एक नज़र देखता हूँ, तो मेरी निगाह में यक-ब-यक हज़ारों-हज़ार रेशमी गिरहें सी लग […]

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