अमानत

परत-दर-पर
तह-ब-तह
ज़िन्दगी-ज़िन्दगी…।
यही इक अमानत
मुझे बख़्शी है
मेरे खुदा ने।
इसी में से
ये ज़िन्दगी
यानी ये उम्र अपनी
तेरे नाम कर दी है मैंने।
मगर सुन ज़रा
यह तो बस पेशगी है,
जो तू हां कहे तो
यह सारी अमानत
तेरे नाम
कर दूँ।

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