अमानत November 10, 2014 clwys नज़्में परत-दर-पर तह-ब-तह ज़िन्दगी-ज़िन्दगी…। यही इक अमानत मुझे बख़्शी है मेरे खुदा ने। इसी में से ये ज़िन्दगी यानी ये उम्र अपनी तेरे नाम कर दी है मैंने। मगर सुन ज़रा यह तो बस पेशगी है, जो तू हां कहे तो यह सारी अमानत तेरे नाम कर दूँ। Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
July 3, 2020 clwys अखबार/ पत्र- पत्रिकायें, कागज़ों पर दर्ज़, नज़्में बैठा नदी के पास यही सोचता रहा: पवन कुमार Read more