तुमसे मिलने की आस बाकी है पास दरिया है प्यास बाकी है वो तो मिलता है अपने तेवर में मुझमें अब भी मिठास बाकी है मिल चुके […]
तुमसे मिलने की आस बाकी है पास दरिया है प्यास बाकी है वो तो मिलता है अपने तेवर में मुझमें अब भी मिठास बाकी है मिल चुके […]
हर चेहरे की यह तहरीर कुछ बाजू और कुछ तकदीर पेट की ख़ातिर सारे करतब डाकू हो या कोई फकीर तुम अपनी खुद राह तलाशो आबे-रवाँ की […]
रात दिन अपने घर में रहता है जाने कैसे सफर में रहता है बच के रहता है अपनी आँखों से वो जो सबकी नजर में रहता है […]
किस किस तरह से दोस्तो बीती है जिन्दगी दरिया सी चढ़ के, बाढ़ सी उतरी है जिन्दगी तुम पास थे तो चाँदनी अपने करीब थी तुम दूर […]
वो कभी गुल कभी ख़ार होते रहे फिर भी हम उनको दिल में संजोते रहे इश्क का पैरहन यूँ तो बेदाग था हम मगर उसको अश्कों से […]
कहीं पर ख़ुश्बूएँ बिखरीं, कहीं तरतीब उजालों की बड़ी पुरकैफ़ हैं राहें तेरे ख़्वाबों ख़यालों की पड़े रहते हैं कोने में लपेटे गर्द की चादर हमारी जिंदगी […]
इश्क में लज्ज़तें मिला देखूँ उससे करके कोई गिला देखूँ कुछ तो ख़ामोशियाँ सिमट जाएँ परदा-ए-दर को ले हिला देखूँ पक गए होंगे फल यकीनन अब पत्थरों […]
ज़मीं पर किस कदर पहरे हुए हैं परिंदे अर्श पर ठहरे हुए हैं बस इस धुन में कि गहरा हो तअल्लुक हमारे फ़ासले गहरे हुए हैं नजर […]
यूँ तो हर पल इन्हें भिगोना ठीक नहीं फिर भी आँख का बंजर होना ठीक नहीं दिल जो इजाजत दे तो हाथ मिलाओ तुम बेमतलब के रिश्ते […]
कोई भी तज़्किरा या गुफ़्तगू हो तेरा चर्चा ही अब तो कू-ब-कू हो मयस्सर बस वही होता नहीं है दिलों को जिसकी अक्सर जुस्तजू हो ये आँखें […]