यूँ भी हम अपनी हर इक रात बसर करते हैं आपकी याद के साये में सफर करते हैं एक ही लम्हा गुज़र जाये तेरे साथ कभी इसी […]
यूँ भी हम अपनी हर इक रात बसर करते हैं आपकी याद के साये में सफर करते हैं एक ही लम्हा गुज़र जाये तेरे साथ कभी इसी […]
हमारे शह्र में हर अजनबी, इक हमजबां चाहे मगर कुछ है जो बाशिन्दा यहाँ का दरमियां चाहे उम्मीदें मंज़िलों की अब तो हमको ज़र्द लगती हैं ख़बर […]
रेज़ा रेज़ा ख़्वाब हो गये कस्मे वादे कहीं खो गये हर लम्हा इक युग सा बीता जब से वो परदेस को गये एक बोझ था जीवन अपना […]
मुंतजिर सी रात थी, थक हार के अब सो गई आस जो आने की थी, वीरानियों में खो गई चाँद से इक बार फिर, क्यूँ हो गया […]
यक तरफा फैसला मुझे मंजूर हो गया मैं उसकी जिन्दगी से बहुत दूर हो गया माँ की इनायतें रहीं ताउम्र इसी तरह मैं तीरगी से जब भी […]
मंजर भी आज देखिए नादिर हुआ जनाब सजदे को मैं भी आपके हाजिर हुआ जनाब जुगनू सा जल के बुझ गया हासिल हुआ न कुछ अपना सफर […]
तेरी नजरों में तो सहरा हुआ है मगर दरिया वहां ठहरा हुआ है लगे हैं फिर कुछ अंदेशे सताने लहू का रंग फिर गहरा हुआ है जहाँ […]
ख़ूबसूरत से कुछ गुनाहों में उम्र गुजरे तेरी पनाहों में ख़्वाब गिरते ही टूट जाते हैं कैसी फिसलन है तेरी राहों में अब जरूरत न हो तख़ातुब […]
‘‘हसरतें दम तोड़ती है यास की आग़ोश में सैकड़ों शिकवे मचलते हैं लबे-ख़ामोश में’’¹ रात तेरे जिस्म की खुशबू से हम लिपटे रहे सुब्ह बैरन सी लगी […]
बेबस थे दिन तो सहमी हुई रात क्या कहें गुज़रे तेरे बगैर जो लम्हात, क्या कहें हमसे न पूछ यार यहाँ हाल-ए-मुंसिफी अच्छे नहीं है अपने ख़यालात […]