Posts archive for 2018

सिर्फ ज़रा सी जि’द की ख़ातिर अपनी जाँ से गुज’र गए

सिर्फ ज़रा सी जि’द की ख़ातिर अपनी जाँ से गुज’र गए एक शिकस्ता कश्ती लेकर हम दरिया में उतर गए तन्हाई में बैठे बैठे यूँ ही तुमको […]

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कुछ लतीफों को सुनते सुनाते हुए

कुछ लतीफों को सुनते सुनाते हुए उम्र गुज’रेगी हंसते हंसाते हुए अलविदा कह दिया मुस्कुराते हुए कितने ग“म दे गया कोई जाते हुए सारी दुनिया बदल सी […]

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उतरा है ख़ुदसरी पे वो कच्चा मकान अब

उतरा है ख़ुदसरी पे वो कच्चा मकान अब लाजिम़ है बारिशों का मियां इम्तिहान अब मुश्किल सफ’र है कोई नहीं सायबान अब है धूप रास्तों पे बहुत […]

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