Main Hanuman

Main Hanuman (Hindi)

Author : Pawan Kumar

Classification Fiction
Pub Date1 September 2021
Imprint : Sarvatra
Page Extent262
BindingPaperback
LanguageHindi
ISBN9789391242046
ABOUT THE BOOK

“युद्ध किसी भी सभ्यता, संस्कृति के लिए सुपरिणाम नहीं लाते। युद्ध का अंत विभीषिका ही होती है। परिस्थितियाँ कुछ भी हों, यथासम्भव दोनों पक्षों को युद्ध से बचना ही चाहिए। एक फलती-फूलती सभ्यता को समाप्तप्राय कर देना और नये सिरे से सभ्यता का पुनर्निर्माण करना सरल नहीं होता। हमेशा से ही यह परम्परा रही है कि युद्ध की विभीषिका से बचने के लिए जो भी प्रयास हो सकते हों, कर लेने चाहिए। तभी तो प्रत्येक युद्ध से पूर्व संधि का प्रस्ताव भेजा जाना आवश्यक होता है। यह राजनीति की तो माँग है ही, लोकनीति भी इसी से प्रशासित होती है। प्रभु श्रीराम तो वैसे भी लोक कल्याण और लोक मर्यादा को महत्व देते रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम इस नीति का पालन न करें, यह संभव न था। युद्ध की सारी संभावनाओं को वे टालना चाहते थे, वे चाहते थे कि युद्ध की भयावहता के बिना ही शिष्टाचार से मामला निक्षेपित हो जाना चाहिए। वे चाहते थे कि रावण उनकी पत्नी सीता को लेकर शरण में आ जाए तो क्षमा कर दिया जाएगा। वे अंतिम क्षणों तक रावण को ह्रदय परिवर्तन का अवसर देकर युद्ध न होने की प्रत्येक सम्भावना का प्रयोग कर लेना चाहते थे। मैंने प्रभु की ओर देखा। मैंने अनुभव किया कि प्रभु यथासंभव हिंसा से बचना चाहते थे।”