समंदर सामने और तिश्नगी है…….!

images[8]मित्रों अपने ब्लॉग पर एक नयी- ताज़ा ग़ज़ल पोस्ट कर रहा हूँ….! पढ़कर अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत ज़रूर कराईयेगा ….!

समंदर सामने और तिश्नगी है !
अज़ब मुश्किल में मेरी ज़िन्दगी है !!

तेरी आमद की ख़बरों का असर है,
फ़िज़ा में खुशबूएं हैं,ताज़गी है !!

दरो-दीवार से भी हैं मरासिम,
मगर बुनियाद से बावस्तगी है !!

वो आते ही नहीं हैं कर के वादा,
हमारी मौत उनकी दिल्लगी है !!

तेरी आँखों से रोशन है नज़ारे,
तेरी ज़ुल्फों से कोई शब जगी है !!

सुनाये थे जो नग्में कुर्बतों में,
ख्यालों में उन्हीं से नग्मगी है !!

लुटाता रोशनी है बेसबब जो,
उसी के हक में देखो तीरगी है !!

ख़फ़ा मुझसे हो तो मुझको सज़ा दो,
ज़माने भर से क्या नाराज़गी है !!

तुम्हें हर सिम्त हो मंज़िल मुबारक,
हमारे हक में बस आवारगी है !!

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