सभी को है ये धोका हम पले हैं शादमानी में

सभी को है ये धोका हम पले हैं शादमानी में
मगर ये उम्र गुज’री है ग“मों की पासबानी में

हो गर्दिश में तो शायद ही कोई अपना कहे लेकिन
हज़ारों लोग होंगे साथ ज’श्ने-कामरानी में

न जाने कौन सी करवट हमारी जि’न्दगी लेगी
नए किरदार शामिल होने वाले हैं कहानी में

सिवा उसके हमारे पास अब कुछ भी नहीं बाकी
वो इक तावीज’ जो अम्मा ने सौंपा था निशानी में

शिकायत क्या करें उससे कि लहजे में बनावट है
हमें तो लुत्फ’ आता है फ’क’त सादा बयानी में

शादमानी = प्रसन्नता, पासबानी = पहरेदारी, कामरानी = विजय/जीत

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