शाबास अभिनव ……गर्व है तुम पर

शाबास अभिनवजैसे ही ख़बर मिली कि ओलम्पिक में अपने देश के अभिनव ने गोल्ड मैडल जीत लिया है। दिल बल्लियों उचल गया। उन्होंने सोमवार को यह करिश्मा कर ओलंपिक के 112 वर्षों के इतिहास में पहली बार भारत की ओर से किसी व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया. भारत के शूटिंग स्टार अभिनव बिंद्रा 10 मीटर एयर राइफ़ल में स्वर्ण पदक हासिल किया. भारत ने 1980 के बाद पहला स्वर्ण पदक जीता है. इसके पहले भारत हॉकी में स्वर्ण पदक जीता था.खेल रत्न से सम्मानित बिंद्रा क्वॉलिफाइंग राउंड में चौथे स्थान पर रहे थे. उन्होंने 596 के स्कोर के साथ फ़ाइनल के लिए क्वॉलिफ़ाई किया था. लेकिन अंतिम मुक़ाबले में उन्होंने सबको पीछे छोड़ दिया. एक ऐसे माहौल में जब देश में सिर्फ़ हताशा, निराशा और असंतोष की ख़बरें ही सुर्खियाँ बन रही थीं, उस सबके बीच अभिनव का यह स्वर्ण पदक जैसे एक प्यासे राष्ट्र के लिए आशा की बूंद बन कर आया है. शायद बहुत लोगों को आज भारत में एक अजीब तरह की खुशी का एहसास हुआ होगा. एक ऐसी खुशी जिसमें शायद 20-20 चैंपियनशिप की जीत का उन्माद नहीं है और शायद अभिनव कभी भी धोनी, युवराज जैसी लोकप्रियता की बुलंदी भी नहीं छुए, पर आज के स्वर्ण पदक में एक अलग और अजब से ठहराव, गर्व और राष्ट्रवाद का समिश्रण है. और इस अनुभूति में कुछ भी जिंगोइस्टिक या कहिए नकारात्मक राष्ट्रवाद नहीं है. आज की अनुभूति में एक ख़ास तरह का इत्मिनान है, आत्मसम्मान है कि आख़िरकार दुनिया के दूसरे सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राष्ट्र में एक अरब से भी ज़्यादा लोगों में एक तो ऐसा निकला जिसने आज भारत को पहली बार अंतरराष्ट्रीय और वह भी ओलंपिक के मंच पर अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किया. हम होंगे कामयाब गाने को सुनते हुए इतने वर्ष हो गए थे कि लगने लगा था कि इस गीत के बोल शायद ही कभी यथार्थ बन पाएं. कम से कम ओलंपिक के संदर्भ में तो आज अभिनव ने इस गीत को चरितार्थ कर दिखाया है. और भरा है राष्ट्र में और भारत के युवा में एक नया आत्मविश्वास कि हमारे लिए भी असंभव कुछ नहीं है. अभिनव बिंद्रा ने ओलंपिक तक का सफ़र कड़ी मेहनत और लगन से तय किया है. देश की तरफ़ से उनको लाख लाख सुभकामनाएँ काश कि हम कुछ और पदक जीत पाते…………… । ……गर्व है तुम पर

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