नयी ताज़ा ग़ज़ल……….

मित्रों ने कहा कि बहुत दिनों से अपनी कोई ग़ज़ल पोस्ट नहीं की….क्या कहता उनसे….असल में खुद को कहाँ तक पोस्ट में रखता रहूँ…..दुनिया जहान में इतने लोग -इतने किस्से -इतनी घटनाएँ हैं कि उनके बारे में लिखते हुए ही आनंद महसूस करता हूँ….बहरहाल अपने दोस्त मनीष की मांग पर बहुत संकोच के साथ एक नयी ताज़ा ग़ज़ल पोस्ट कर रहा हूँ…………………..शायद पसंद आये…………!

तेरी खातिर खुद को मिटा के देख लिया !
दिल को यूँ नादान बना के देख लिया !!

जब जब पलकें बंद करुँ कुछ चुभता है,
आँखों में एक ख्वाब सजा के देख लिया !!

बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!

कोई शख्स लतीफा क्यों बन जाता है,
सबको अपना हाल सुना के देख लिया !!

खुद्दारी और गैरत कैसे जाती है,
बुत के आगे सर को झुका के देख लिया !!

वस्ल के इक लम्हे में अक्सर हमने भी,
सदियों का एहसास जगा के देख लिया !!

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