“जार्ज एवरेस्ट” पर ब्रेकफास्ट…..!
गत शुक्रवार को अकादमी में आदेश जारी हुआ कि शनिवार कि सुबह सभी लोग “जार्ज एवरेस्ट” प्वाईंट ट्रेकिंग करते हुए चलेंगे…..शनिवार का ब्रेकफास्ट वहीँ लेकर लंच वापस अकेडमी में करेंगे….! जार्ज एवरेस्ट प्वाइंट मसूरी से लगभग 6 किमी दूरी पर है…….पैदल ट्रेकिंग करते हुए अपने 100 साथियों के साथ इस प्वाईंट तक पहुँचना बहुत ही मजेदार अनुभव था……100 अफसरों का यह दल हंसी-ठहाके करते हुए चल पड़ा…..लगभग एक-डेढ़ घंटे के पैदल सफ़र के बाद जब जार्ज एवरेस्ट पहुंचे तो लगा कि क्या ही खूबसूरत जगह पर हम पहुँच गए है….चोटी पर आकर अचानक फैले हुए घास के मैदान जैसा था यह गंतव्य और इस मैदान के बीचों-बीच एक बड़ा सा बंगला भी था, जिसे ‘जार्ज एवरेस्ट का बंगला’ कहा जाता है ……..! यहाँ पहुँच कर हमारे साथियों ने पहले तो नाश्ता लिया….फोटोग्राफी की गयी….देर तक हम सब इस चोटी से पहाड़ों की खूबसूरती को निहारते रहे……! ब्रेकफास्ट लेकर दोस्तों ने इसी पहाड़ी पर अन्त्याक्षरी का दौर शुरू कर दिया जो अगले दो-ढाई घंटे तक चला.
इसी बीच एक जिज्ञासा यह भी जगी कि जार्ज एवरेस्ट के बंगले का जायजा भी ले लिया जाए….यह विशालकाय बंगला जार्ज एवरेस्ट द्वारा 1832 में बनवाया गया था…..! हम देर तक यही सोचते रहे कि आज जबकि दुनिया बहुत आगे पहुँच गयी तब यहाँ छोटा सा घर बनाया जाना मुश्किल काम है…..1832 में यह काम कितना कठिन रहा होगा…..इसकी बस कल्पना ही की जा सकती है. जार्ज एवरेस्ट (1790-1866) वेल्श के सर्वेक्षणकर्ता थे जो भारत में 1830-43 की अवधि में सर्वेयर जनरल ऑफ़ इंडिया रहे. उन्हें भारत के दक्षिण भारत से लेकर नेपाल तक तकरीबन 2400 किमी तक के भूभाग का ट्रिगोनोमेत्रिक सर्वे करने के लिए जाना जाता है. यह भी जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है कि माउन्ट एवरेस्ट का नाम इसी महान सर्वेयर के नाम पर रखा गया है. मसूरी में के जार्ज एवरेस्ट के बंगले तक जाना एक नया अनुभव था……उन्होंने यह घर 1832 में बनवाया था. वे यह भी चाहते थे कि सर्वे ऑफ़ इंडिया का हेड ऑफिस मसूरी में ही बने….हालाँकि उनकी यह इच्छा अधूरी ही रही…यह ऑफिस बाद में देहरादून में बनाया गया. इस प्वाईंट से हिमालय पर्वत श्रृंखला का दृश्य बहुत ही मनोरम था.
बहरहाल एक मनोरंजक- खुशनुमा दिन का प्रथमार्ध जार्ज एवरेस्ट पर बिताने के लिए लम्बे समय तक याद रहेगा….!