जहां हमेशा समंदर ने मेहरबानी की

जहां हमेशा समंदर ने मेहरबानी की
उसी ज’मीन पे कि’ल्लत है आज पानी की

उदास रात की चौखट पे मुन्तजिर आँखें
हमारे नाम मुहब्बत ने ये निशानी की

तुम्हारे शह्र में किस तरह जिंदगी गुज’रे
यहाँ कमी है तबस्सुम की, शादमानी की

मैं भूल जाऊँ तुम्हें सोच भी नहीं सकता
तुम्हारे साथ जुड़ी है कड़ी कहानी की

उसे बताये बिना उम्र भर रहे उसके
किसी ने ऐसे मुहब्बत की पासबानी की

शादमानी = प्रसन्नता, पासबानी = पहरेदारी

Leave a Reply