अदब की इबादत- ‘ इबारत’ !
आज जी खोल के हरा जाए
ढूँढता हूँ ज़मीन अच्छी सी
ये बदन जिसमे उतारा जाए
और
लबों पे यूँ हीं हंसी भेज दो
मुझे मेरी पहली ख़ुशी भेज दो
अँधेरा है कैसे तेरा ख़त पढूं
लिफाफे में कुछ रोशनी भेज दे
इन रचनाओं के साथ अल्वी साहब ने मिबारत की महफ़िल को परवान चढ़ाया. इस शायर के बाद पाकिस्तान की मशहूर शायरा किश्वर नाहीद की बारी थी. किश्वर नाहीद पाकिस्तान में ’!!!फेमिनिस्ट मूवमेन्ट’ में बहुत बड़ा नाम हैं. हुकूमत और सामाजिक दबावों के सामने न झुककर उन्होने अपनी आवाज़ बड़ी बुलन्द तरीके से निभाई है. ‘ बुरी औरत की आत्मकथा ‘ जैसी आत्मकथा लिखकर दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचने वाली किश्वर नाहीद को सुनना एक तारीख़ी एहसास था. विद्रोही तेवर के साथ किश्वर नाहीद के कलाम पेश कर औरत होने का एहसास कराया….!
मुझे नवम्बर की धूप की तरह मत चाहो
मुझे इतना चाहो कि मुझमें चाहे जाने की ख्वाहिश जाग उठे.
मुझे नवम्बर की धूप की तरह मत चाहो
कि इसमे डूबो तो तमाज़त में नहा जाओ
और उससे अलग हो तो ठंडक को पोर-पोर में उतरता देखो……
मुझे सावन के बादल की तरह मत चाहो
कि इसका साया बहुत गहरा
नस नस में प्यास बुझाने वाला
मगर इसका वजूद
पल में हवाए पल में पानी का ढेर
मुझे शाम की शफक की तरह मत चाहो
कि आसमान के कर्गोज़ी रंगों की तरह
मेरे गाल सुर्ख मगर लम्हा बाद
कि हिज्र में नहा कर रात सी मैली मैली
मुझे चलती हवा की तरह मत चाहो
कि जिसके कयाम से दम घुटता है
और जिसकी तेज़ रवी क़दम उखड देती है
मुझे ठहरे पानी कि तरह मत चाहो कि
इसमे कँवल बन कर नहीं रह सकती
मुझे बस इतना चाहो कि
मुझमे चाहे जाने की ख्वाहिश जाग उठे…….
मदनमोहन दानिश के इस कार्यक्रम में जाने के बाद महसूस हुआ कि यदि इस कार्यक्रम में न आता तो निश्चित ही मैं एक तारीख़ी महफि़ल से महरूम रह जाता. शुक्रिया ’दानिश ’ साहब को जिन्होंने मुझे इस आयोजन में शरीक होने का मौका दिया. ’दानिश ’ साहब ने जिस कलात्मक-खूबसूरत- अनुशासित तरीके से इस कार्यक्रम को अंजाम दिया वह उनकी ज़हानत और उनके अदबी लगाव को दिखाती है. युवा दानिश ने ग्वालियर जैसे शहर में ’इबारत’ के माध्यम से जो साहित्यिक अलख जगाई है वह बेमिसाल है. इससे पूर्व इबारत के माध्यम से इस शहर को निदा फाज़ली ,शीन क़ाफ़ निज़ाम जैसे लोगों की सोहबत मयस्सर हो चुकी है. ’इबारत’ का यह प्रयास अदब के प्रति किसी ’इबादत’ से कम नहीं. उम्मीद है कि ’इबारत’ अदब की दुनिया में नयी ’इबारत’ लिखेगी।