वक्त पर थम गई है बारिश जो गुजरी रात को हुई थी, धो दिए हैं रास्ते इस बारिश ने। सूरज भी खूब वक्त से निकला है, किरनें […]
वक्त पर थम गई है बारिश जो गुजरी रात को हुई थी, धो दिए हैं रास्ते इस बारिश ने। सूरज भी खूब वक्त से निकला है, किरनें […]
जाने क्या सोच के तेरे ख़त कल नदी में बहाये थे, ख़त तो कागज के थे गल गए बह गए मगर वो सारे हफर् जो उन पर […]
एक मुकम्मल किनारे की तलाश में हर रोज कितने किनारे बदलता है समन्दर तमाम नदियों को जज्ब करने के बाद भी मासूम सा दिखता है समन्दर। शाम […]
एक वादा तुमसे रोज कुछ लिखने का तुम्हारे बारे में, अभी भी मुस्तैदी से निभा रहा हूँ। मगर इस बार तहरीरें कागजों पर नहीं दिल के सफहों […]
तूने बख़्शा तो है मुझे खुला आसमां साथ ही दी हैं तेज हवाएं भी हाथों से हल्की जुम्बिश देकर जमीं से ऊपर उठा भी दिया है। मगर […]
हवा जो छू के गुजरती है मुझे उसमें खुश्बू बसी है तुम्हारी तरह। ये नदिया जो बहती है इसमें इक सादगी है तुम्हारी तरह। रंग धानी है […]
वो लम्हा मेरी मुट्ठी से रेत की तरह फिसल गया ऐसा लगा कि मुझसे कोई ‘मैं’ कहीं निकल गया। ढूँढ़ता हूँ उसी टुकड़े को हरेक शख़्स के […]
ख़्वाब शीशे के टुकड़े हैं टूटते हैं तो पलकें लहूलुहान हो जाती हैं मैं इस डर से कभी आँखों में ख़्वाब नहीं सजाता हूँ।
बेसबब पहले कागज पे वो हाशिया खींच देता है और उसपे ये दावा कि वो बंदिशों में लिखने का आदी नहीं है!
मसूरी एक निहायत खूबसूरत दोशीजा जिसके माथे पर सूरज की लाल बिन्दी है, तो तमाम तराशे हुए कुहसार उसके अल्हड़पन के गवाह हैं। मसूरी! जब सुबह चांदी […]