Posts archive for November, 2014

समन्दर

एक मुकम्मल किनारे की तलाश में हर रोज कितने किनारे बदलता है समन्दर तमाम नदियों को जज्“ब करने के बाद भी मासूम सा दिखता है समन्दर। शाम […]

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तहरीरें

एक वादा तुमसे रोज’ कुछ लिखने का तुम्हारे बारे में, अभी भी मुस्तैदी से निभा रहा हूँ। मगर इस बार तहरीरें काग’जों पर नहीं दिल के सफ’हों […]

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मसूरी

मसूरी एक निहायत खूबसूरत दोशीजा जिसके माथे पर सूरज की लाल बिन्दी है, तो तमाम तराशे हुए कुहसार उसके अल्हड़पन के गवाह हैं। मसूरी! जब सुबह चांदी […]

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