बीते मंगलवार को तीजन बाई का प्रोग्राम देखने का अवसर मिला.यूँ तो तीजन जी को टी वी पर कई बार देखा था मगर मंच से उनका प्रोग्राम देखने का अवसर पहली बार मिल रहा था. अपने नियत समय से वे लगभग एक घंटे देर से पहुँची.मगर मंच पर उनके...
इधर काफी दिनों तक गायब रहा. सच कहूँ तो वक्त नही मिला कुछ लिख पाने का …मन लगातार करता रहा कि कुछ लिखूं. व्यस्तता ने जैसे व्यक्तिगत जिंदगी के सारे लम्हे छीन लिए बहरहाल अब ब्लॉग पर आमद कर चुका हूँ… इधर बीते पन्द्रह दिनों में जो दो महत्त्वपूर्ण...
हद हो गयी भाई…..जहाँ देखो वहीँ लूट मचा रखी है..कल अचानक बी बी सी की न्यूज़ साईट को देखते हुए नज़र थमी ” सोने के दाम समोसे ” कालम पर जिसमे संवाददाता इरशाद उल हक़ ने लिखा कि बिहार के सोनपुर में लगने वाले पशु मेले में इस बार...
ख़बर मिली कि नॉर्मन बोरलाग नही रहे…..एक टीस सी उठी. बोरलाग वही शख्स थे जिन्होंने 1970 के दशक में भारत और तमाम विकासशील देशों को भोजन उपलब्ध कराने में महती योगदान दिया था। हरित क्रांति के मसीहा के रूप में उन्होंने पिछड़े देशों में खाद्यान्न उपज के प्रति जो...
सितम्बर माह में मैं लखनऊ में था। लखनऊ में उन दिनों राष्ट्रीय पुस्तक मेला चल रहा था ….काम में व्यस्तता इतनी ज्यादा थी की मैं इस मेले में बस आखिरी दिन जा सका. किताबें वैसे भी मेरे खर्चे की एक बड़ी मद रही हैं……इस मेले में मैंने कुछ शायरी...
पता ही नहीं चला कब 10 साल गुजर गए…… मुट्ठी से रेत की तरह…….शायद उससे भी ज्यादा तेज……..ऐसे कि पलकें बंद कीं और खोलें तो एक दशक गुज़र जाए…! आज अंजू के साथ 10 साल का सफ़र पूरा हुआ है….1999 में जब हमारी शादी हुयी थी तो हम महज...
कुछ ज़ख्म कभी नहीं भरते ……………………! याद तो नहीं करना चाहता मगर भूलती भी तो नहीं वो रात…….अचानक मुंबई में आंतक का जो खेल शुरू हुआउसने पूरे देश में दहशत मचा दी थी. दस आतंकी और उनकी लेओपोल्ड कैफे , नरीमन पॉइंट…..ताज होटल जैसेस्थानों पर दहशतगर्दी……….! सांस साधे एनएसजी...
कुशीनगर जाने का कार्यक्रम भी अचानक बन गया….सुबह दीपक जी, स्वतंत्र जी और उनकी धर्मपत्नी के साथ चर्चा हुई कि क्यों न एक दिन कुशीनगर चला जाए………..सहमती बनी कि कभी क्यों आज ही क्यों नहीं…… बात भी ठीक थी रविवार तो था ही………..निकल दिए थोड़ी देर बाद कुशीनगर के...
8 दिसम्बर महायान परंपरा में बोधि दिवस के रूप में मनाया जाता है. विदेशों में बोधि दिवस बड़े उत्साह से मनाया जाता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि राजकुमार सिद्दार्थ ने ज्ञान की खोज के लिए बोध गया बिहार में एक वट वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया...