फ़र्क़ नहीं पड़ता हम दीवानों के घर में होने से वीरानी उमड़ी पड़ती है घर के कोने कोने से अपनी इस कम-ज़र्फ़ी का एहसास कहाँ ले जाऊँ मैं सुन रक्खा था उलझन कुछ कम हो जाती है रोने से ”मुज़फ़्फ़र हनफ़ी आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के बड़े शायर हैं। अपने...
वो साल था 2013, उन दिनों मैं बतौर स्ट्रिंगर अमर उजाला चंदौसी में कार्यरत था। चंदौसी वही जगह है जहां से हिंदी के महान ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार ने अपनी शिक्षा पूरी की है। उसी शहर में उन्होंने अपनी पहली ग़ज़ल कही और उसी शहर में पहली बार छात्र संपादक...
बैठा नदी के पास यही सोचता रहाकैसे बुझाऊँ प्यास यही सोचता रहा शादाब वादियों में वो सूखा हुआ दरख़्तकितना था बेलिबास यही सोचता रहा कितने लगे हैं घाव मैं करता रहा शुमारकितना हुआ उदास यही सोचता रहा इस अंधी दौड़ में करे किस सिम्त अपना रुख़हर फ़र्द बदहवास यही...
अमर उजाला काव्य, काव्य कैफ़े लाइव के माध्यम सेप्रतिदिन शाम 5 बजेआप के लिए कला और साहित्य के क्षेत्र के मशहूर कलाकारों को लेकर हाज़िर होता है। काव्य कैफ़े लाइव की इसी यात्रा में आज शाम 5 बजे दर्शकों से रू ब रू होंगे- पेशे से आईएएस और मिजाज़...
शायरी की आज तक न जाने कितनी परिभाषाएं दी जा चुकीं हैं और आज तक दी जा रही हैं लेकिन ये सारी परिभाषाएं जब ठीक से यह परिभाषित नहीं कर सकीं कि शायरी क्या है, तो सोचिये अच्छी शायरी को परिभाषित करना कितना कठिन होगा? हमें यह तो बता...
साहित्य में एक नया तबका सामने आ रहा है नौकरशाह कवियों-लेखकों का. राजस्थान कैडर के आईएएस डॉ जितेंद्र सोनी द्वारा संपादित कविता परस्पर में 32 प्रशासनिक अधिकारियों की कविताएं सम्मिलित हैं. कविता का समाज दिनोंदिन बड़ा हो रहा है. पहले कविता में कोई वर्गीकरण न था. वाद थे और...