रामराज्य की विस्तृत समीक्षा साहित्यिक पत्रिका अभिनव मीमांसा में प्रकाशित
फ़र्क़ नहीं पड़ता हम दीवानों के घर में होने से वीरानी उमड़ी पड़ती है घर के कोने कोने से अपनी इस कम-ज़र्फ़ी का एहसास कहाँ ले जाऊँ मैं सुन रक्खा था उलझन कुछ कम हो जाती है रोने से ”मुज़फ़्फ़र हनफ़ी आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के बड़े शायर हैं। अपने...
दोस्तो आज के सेशन की खास शख्सियत आईएएस मोहतरम पवन कुमार साहिब नाम सुनते ही अहसास हो जाता है कि पवन कुमार एक ऐसी लिटरेरी शख्सियत का नाम है जिसके अल्फ़ाज़ में अपने नाम की सिफ़त के मुताबिक हवा जैसी रवानी है । वो शख्सियत जिसने प्रशासनिक ओहदे पर...
वो साल था 2013, उन दिनों मैं बतौर स्ट्रिंगर अमर उजाला चंदौसी में कार्यरत था। चंदौसी वही जगह है जहां से हिंदी के महान ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार ने अपनी शिक्षा पूरी की है। उसी शहर में उन्होंने अपनी पहली ग़ज़ल कही और उसी शहर में पहली बार छात्र संपादक...