प्रतिष्ठित कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ सम्मान

प्रतिष्ठित कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ सम्मान प्राप्त कर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। हिंदी साहित्य और विशेषतया साहित्यिक पत्रकारिता में मूर्धन्य स्थान प्राप्त कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ की स्मृति में यह पुरस्कार दिया जाता है। कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ हिन्दी के जाने-माने निबंधकार हैं जिन्होंने राजनैतिक और सामाजिक जीवन से संबंध रखने वाले अनेक निबंध लिखे हैं। वे हिन्दी के श्रेष्ठ रेखाचित्रों, संस्मरण एवं ललित निबन्ध लेखकों में हैं। इन्होंने पराधीनता के समय स्वाधीनता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिसके कारण 1930,1932 और 1942 के आंदोलन में जेल भी जाना पड़ा।वे ज्ञानोदय के संपादक भी रहे।प्रमुख साहित्यिक कृतियां – जिंदगी मुसकाई, नयी पीढ़ी- नये विचार, माटी हो गई सोना, दीप जले शंख बजे आदि। ‘आकाश के तारे- धरती के फूल’ प्रभाकर जी की लघु कहानियों के संग्रह का शीर्षक है। ‘दीप जले, शंख बजे’ (1958) में, जीवन में छोटे पर अपने- आप में बड़े व्यक्तियों के संस्मरणात्मक रेखाचित्रों का संग्रह है। ‘बाजे पायलिया के घुँघरू’ (1958) नामक संग्रहों में आपके कतिपय छोटे प्रेरणादायी ललित निबन्ध संगृहीत हैं।रामधारी सिंह दिनकर ने इन्हें ‘शैलियों का शैलीकार’ कहा था। इस अवसर पर डॉ नवाज़ देवबंदी, अंतरराष्ट्रीय योग गुरु पद्मश्री भारत भूषन, एयर कमोडोर रोहित महाजन, अर्जुन अवार्डी कर्नल दीप अहलावत के आलावा कई साहित्यकार, एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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